
उज्जैन में आम भक्तों से दूर होते महाकाल।
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विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सशुल्क दर्शन व्यवस्था को लेकर कड़ा विरोध शुरू हो चुका है। दर्शन शुल्क व वीआईपी कल्चर द्वारा गरीब और अमीर के बीच भेदभाव करने के आरोप लगने लगे हैं। अब संत अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि एक भी मस्जिद, चर्च या गुरुद्वारे में न तो वीआईपी कल्चर है और न ही दर्शन के नाम पर शुल्क लिया जाता है। तो मंदिरों में ऐसा क्यों?
बता दें कि सशुल्क दर्शन व्यवस्था का संत समाज शुरू से विरोध कर रहा है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री हरिगिरि महाराज, जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर शैलेशानंद महाराज, पंचायती अखाड़ा निरंजनी के महामंडलेश्वर सुमनानंद के साथ ही स्वस्तिक पीठाधीश्वर क्रांतिकारी संत अवधेशपुरी महाराज शुल्क दर्शन व्यवस्था को गलत ठहरा चुके हैं। इस व्यवस्था को जल्द से जल्द बंद करने की मांग श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से कर चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद भी महाकालेश्वर मंदिर मे दर्शन के नाम पर श्रद्धालुओं से प्रतिदिन लाखों रुपयों का शुल्क वसूला जा रहा है। अब संत अवधेशपुरी महाराज ने मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखा है जिसमें उन्होंने सशुल्क दर्शन की इस व्यवस्था को श्रद्धालुओं में भेदभाव करने के साथ ही इसे नागरिकों के संवैधानिक मूल अधिकार समानता एवं धार्मिक स्वतंत्रता का हनन बताया है।