जाखलौन। प्रदेश सरकार लोगाें को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा देने का दावा कर रही है, लेकिन जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाएं बदहाल हैं। धौर्रा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का तो हाल ही बदहाल है। पहली मंजिल पर बने भवन में जाने वाली सीढि़यां ही टूटी पड़ी हैं। साथ ही पिछले सवा साल से यहां फार्मासिस्ट ही मरीजों का इलाज कर रहा है।
ग्राम पंचायत धौर्रा स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर आसपास के करीब 20 गांवों की 40 हजार से अधिक आबादी के इलाज का जिम्मा है। लेकिन देखरेख के अभाव में अस्पताल जर्जर हालत में पहुंच गया है। बारिश में छत से पानी टपकता है। परिसर की लाइटें खराब होने से रात में अंधेरा पसर जाता है। हैंडपंप खराब पड़ा है। पानी की टंकी भी सूखी पड़ी है। ऐसे में मरीज पानी घर से लाते हैं। अस्पताल में बना प्रसव कक्ष भी खस्ताहाल में है। ग्रामीणों को प्रसूता को जिला अस्पताल लेकर जाना पड़ता है।
तबादले के बाद नहीं आया कोई डॉक्टर
अस्पताल में तैनात चिकित्सक का करीब सवा साल पहले तबादला हो गया था। इसके बाद कोई डॉक्टर नहीं आया। मौजूदा समय में एक फार्मासिस्ट, एक प्रयोगशाला सहायक, एक एएनएम, एक एसटीएस व एक सफाई कर्मी तैनात है। जिनके भरोसे अस्पताल चल रहा है।
अस्पताल में डॉक्टर न होने से मरीजों व तीमारदारों को परेशानी होती है। जल्द डॉक्टर तैनात किया जाए।-रतीराम
अस्पताल भवन खस्ताहाल हो रहा है। इसकी मरम्मत कराकर इसमे डॉक्टर की पोस्टिंग जल्द कराना चाहिए। -गया प्रसाद तिवारी
गांव के मरीजों को उपचार के लिए जिला अस्पताल जाना पड़ता है। अस्पताल में जल्द स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हो। – यशपाल सिंह परिहार
करीब 20 गांवों के मरीज इसी अस्पताल में आते थे, लेकिन डॉक्टर न होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।-जितेंद्र सिंह
पीएचसी धौर्रा के जर्जर भवन की मरम्मत के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा है। बजट मिलने पर काम कराया जाएगा। जनपद में डॉक्टरों की कमी होने के कारण तैनाती नहीं हो पा रही है। जल्द व्यवस्था की जाएगी। पहाड़ी क्षेत्र होने के कारण पानी की समस्या है। अस्पताल परिसर में गहरी बोरिंग कराने की जरूरत है। इसके लिए भी शासन को पत्र भेजा गया है। – डॉ. जेएस बक्शी, सीएमओ