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The target was to buy 15 lakh quintals of wheat, even half could not be bought.

गेहूं खरीदी केंद्र
– फोटो : अमर उजाला

विस्तार

राज्य सरकार द्वारा दिए जा रहे समर्थन मूल्य के कारण इस बार भी जिले के सरकारी केन्द्रों पर गेहूं विक्रय के प्रति किसानों का मोहभंग नजर आ रहा है। जिले में इस साल 15 लाख क्विंटल गेहूं खरीदने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन यह लक्ष्य पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। पांच अप्रैल से शुरू हुई गेहूं की खरीदी का एक माह गुजर चुका है, लेकिन अब तक जिले में सिर्फ दो लाख 57 हजार क्विंटल गेहूं खरीदी हो पाई है।

गेहूं खरीद केन्द्रों के हालात बता रहे हैं कि शासन का लक्ष्य 15 मई तक पूरा होना मुश्किल है। सरकार ने इस वर्ष किसानों से 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से अनाज की खरीदी की है। 15 मई तक जिले में बनाए गए 80 खरीद केन्द्रों पर खरीदी की प्रक्रिया चलती रहेगी। अब तक जिले में 3545 किसानों ने ही गेहूं का विक्रय सरकारी केन्द्रों पर किया है।

किसान बाजार में बेच रहे गेहूं

कई किसानों ने पिछले साल की तरह इस साल भी अपना गेहूं सरकारी खरीद केन्द्रों में बेचने की बजाय बाजार में बेचना मुनासिब समझा। किसानों को सरकारी खरीद केन्द्रों पर गेहूं बेचने में कई दिक्कतें आ रही थीं, जिसके कारण उन्होंने खुले बाजार में अपना अनाज बेच दिया।

किसानों को सरकार जो समर्थन मूल्य दे रही है, लगभग वही मूल्य उन्हें बाजार में मिल रहा है। वह भी बिना परेशान हुए। व्यापारी किसानों के घर से ही अनाज उठा लेते हैं और बिना सख्त जांच पड़ताल के उनके गेहूं को खरीद रहे हैं, जबकि सरकारी केन्द्रों पर किसानों को खुद अनाज ले जाना पड़ता है। अनाज की जांच पड़ताल के बाद सरकारी अधिकारी तय करते हैं कि यह अनाज खरीदने योग्य है अथवा नहीं। इन सभी झंझटों के अलावा किसानों को बाजार में जहां नगद राशि मिल रही है, तो वहीं सरकारी केन्द्रों पर उन्हें एक सप्ताह के बाद भुगतान मिलता है।

इतना ही नहीं किसानों को सरकारी खरीद केन्द्रों पर अनाज बेचने के बाद पुराना कर्ज चुकाने के लिए भी बाध्य किया जाता है। जबकि बाजार में वे इस अनिवार्यता से मुक्त रहते हैं।

 



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