
शहर की जनता बारूद के ढेर पर
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मुरैना शहर में रोशन गैस एजेंसी को जब परमिशन दी गई, उस समय क्या मानक देखे गए। साथ ही फायर विभाग से एनओसी, फूड एवं सप्लाई विभाग द्वारा एनओसी, सरकार के गृह विभाग अधीन एक्सप्लोसिव विभाग द्वारा नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट जारी होता है, यह सब कैसे हुआ? गैस गोदाम शहर से बाहर होना था, शहर से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर गैस गोदाम बनने का नियम है।
एलपीजी गैस गोदाम मुरैना शहर पुल के बगल से 30 फीट की दूरी पर बना हुआ है, जो शहर के बीचो-बीच स्थित है। गैस गोदाम से 200 मीटर की दूरी पर डाक बंगला (वीआईपी गेस्ट हाउस) बना हुआ है, जहां वीआईपी लोगों का आना-जाना रहता है। दूसरी तरफ बड़ी-बड़ी बिल्डिंग बनी हुई है, जिसमें कई परिवार निवासरत हैं। 100 मीटर की दूरी पर केएस स्कूल हैं, जहां बच्चे अध्ययन करते हैं। गैस गोदाम के पीछे न्यू हाउसिंग बोर्ड की कॉलोनी हैं, जिसमें हजारों की संख्या में लोग निवास कर रहे हैं।
न्यू हाउसिंग बोर्ड रहवासी संजय और राकेश का कहना है, इस गैस गोदाम में यदि सिलेंडर में विस्फोट होता है तो कई सैकड़ा लोगों की मौत हो सकती है। इसलिए इसको यहां से हटाया जाए। गोदाम में मेंस्टिंग फ्लोरिंग होनी चाहिए, ताकि सिलेंडर ट्रक से उतरते समय चिंगारी न निकले। एलपीजी गैस गोदाम में यह देखने को नहीं मिला। सिलेंडर ट्रक से नीचे फेंका जाता है, गैस सिलेंडर में गैस होने से सिलेंडर पटकने के दौरान सिलेंडर के भीतर गैस में तेज हलचल होती है।
हलचल की वजह से वहां के तापमान के संपर्क में आने से सिलेंडर कभी फट सकता है। इस कारण बड़ी जनहानि की संभावना बनी हुई है। जिम्मेदार अधिकारी अपनी जिम्मेदारी भूल गए, अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी अनदेखी की जा रही है, जो लोगों की जान ले सकती है। वार्ड पार्षद बदन सिंह यादव का कहना था कि कई बार निगम को अवगत कराया है। अधिकारियों से भी संपर्क किया और पत्र लिखकर गैस गोदाम हटाने का प्रयास कर जन आंदोलन करेंगे।