फोटो-24-पीड़ित पिता मुन्ना।
संवाद न्यूज एजेंसी
रामपुरा। सीएचसी रामपुरा में प्रसव के तत्काल बाद महिला को जिला अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। रास्ते में उसके नवजात बच्चे की मौत हो गई। अस्पताल में फैली अव्यवस्थाओं से परिजन नाराज हैं। उन्होंने मामले में कार्रवाई की मांग की है।
रविवार को कसबा के होलीमोड़ निवासी मुन्ना पत्नी रवीना (30) को लेकर सीएचसी पहुंचे तो वहां डॉक्टर नहीं मिले। किसी तरह मनुहार के बाद महिला को भर्ती किया गया। जहां प्रसव हुआ। प्रसव के बाद महिला को रेफर कर दिया गया। उरई ले जाते वक्त रास्ते में जालौन के पास नवजात की मौत हो गई।
महिला के पति ने अस्पताल स्टाफ पर लापरवाही का आरोप लगाया है। पिछले जनवरी माह में भी गड़ेरना निवासी महिला के नवजात की भी अस्पताल स्टाफ की लापरवाही से मौत हो चुकी है। नगर के निवासी सुखवीर, सोनू, गुड्डू, आसिफ आदि का कहना है कि अस्पताल की व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। कोई अव्यवस्थाओं का विरोध करता है तो उसे कानूनी कार्रवाई की धमकी दी जाती है।
उधर, अस्पताल में अव्यवस्थाओं का आलम है। हालत यह है कि बीपी की मशीन में सैल नहीं है। बिजली के बोर्ड में स्विच लगाकर बीपी की जांच की जाती है। अस्पताल का बाथरूम चोक पड़ा हुआ है। जिससे वहां पानी भरा रहता है। रात के वक्त अस्पताल फार्मासिस्ट के भरोसे हो जाता है। डॉक्टरों के आवास अस्पताल से दूर बने हैं, जिससे रात में डॉक्टर नहीं मिलते हैं।
उधर, सीएचसी केे चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय पांडेय का कहना है कि उनके पास फिलहाल शिकायत नहीं आई है। शिकायत आने पर ड्यूटी पर तैनात स्टाफ से जवाब तलब किया जाएगा। दोषी मिलने पर कार्रवाई भी की जाएगी।
बाहर से मंगाई जाती है महंगी दवाइयां
फोटो-25-सुखवीर सिंह।
कस्बे के मोहल्ला राजेंद्रनगर निवासी सुखवीर सिंह का कहना है कि ओपीडी में मरीजों को बाहर की दवाइयां लिखी जाती हैं। महंगे इंजेक्शन और सीरप लिखकर शाम को मेडिकल स्टोर से कमीशन वसूलने का खेल चलता है। रात में मरीजों को रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में उनके सामने महंगे चिकित्सक या झोलाछाप से इलाज कराने की मजबूरी होती है।
प्रसव के नाम पर होती है वसूली
फोटो-26-जीतू सिंह।
कस्बे के सुभाषनगर निवासी जीतू सिंह का कहना है कि प्रसव के लिए लेबर रूम में आई महिला के परिजनों से दो से ढाई हजार रुपये की दवाई बाहर से मंगाई जाती है। अक्सर बच्चा उल्टा कहकर तैनात स्टाफ नर्स प्रसव कराने के नाम पर तीन से चार हजार रुपये वसूलती हैं। इसमें सभी का कमीशन होता है। इसलिए विरोध करने पर कार्रवाई नहीं होती है।