Many social organizations opposed the gay law in Damoh, memorandum submitted to the President

दमोह में समलैंगिक कानून का विरोध
– फोटो : अमर उजाला

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दमोह के स्थानीय अस्पताल चौराहे पर संस्कृति रक्षा मंच के बैनर तले कई सामाजिक संगठन के लोगों ने समलैंगिक कानून के विरोध में धरना प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे इंजीनियर अमर सिंह राजपूत ने कहा कि भारतीय मूल्य, भारतीय सिद्धांत की जो संरचना है उसके खिलाफ जाकर समलैंगिक कानून को जारी कराने के लिए कुछ लोगों के प्रयास चल रहे हैं, जिसकी सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। जो समलैंगिक लोग हैं उन्होंने मांग की है कि जिस तरह महिला, पुरुष के विवाह होते हैं वैसे ही विवाह करने की अनुमति उन्हें भी दी जाए। अगर इस तरह की अनुमति दी जाती है तो जो हमारी मान्यता, परंपराएं हैं चाहे वह हिंदू हों, मुस्लिम हों, सिख हों समाप्त हो जाएंगी। कुल मिलाकर भारतीय भूभाग में रहने वालों जितने भी लोग हैं उनके खिलाफ हो जाएगी।

इस कानून को अनुमति मिलने के बाद आने वाले समय में समाज की प्रतिकूलता में दीर्घगामी परिणाम होंगे। अगर यह फैसला होता है तो हमारे आईपीसी कोर्ट की 78 धाराओं को बदलना पड़ेगा, जिसका बहुत गहरा असर भारतीय जनमानस पर पड़ेगा। इसलिए हम सभी मिलकर आज राष्ट्रपति को ज्ञापन दे रहे हैं क्योंकि यह अधिकार विधायिका के पास है, कार्यपालिका के पास है। इसका निर्धारण न्यायपालिका नहीं कर सकती। इसलिए उनकी मांग है कि जिस समलैंगिक कानून को जारी करने की सुनवाई चल रही है उसे रद्द किया जाए और इस कानून को अनुमति न दी जाए।



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