
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो)
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
फर्जी नर्सिंग मामले में हाईकोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ जवाब पेश कर दिया गया है। इसमें बताया गया कि सुनीता सिजु को मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्टार पद से हटा दिया है। उन्हें गांधी मेडिकल कॉलेज में स्टाफ नर्स के मूल पद पर वापस भेज दिया गया है। हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ तथा जस्टिस विशाल मिश्रा ने सरकार को उन्हें उपयुक्त नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं।
लॉ स्टूडेंट्स एसोसिएशन के अध्यक्ष विशाल बघेल की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि शैक्षणिक सत्र 2020-21 में प्रदेश के आदिवासी बाहुल्य इलाकों में 55 नर्सिंग कॉलेज को मान्यता दी गई थी। मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल ने निरीक्षण के बाद इन कॉलजों की मान्यता दी थी। वास्तविकता में ये कॉलेज सिर्फ कागज में संचालित हो रहे हैं। ऐसा कोई कॉलेज नहीं है जो निर्धारित मापदंड पूरा करता है। अधिकांश कॉलेज की निर्धारित स्थल में बिल्डिंग तक नहीं है। कुछ कॉलेज सिर्फ चार-पांच कमरों में संचालित हो रहे हैं। ऐसे कॉलेज में प्रयोगशाला सहित अन्य आवश्यक संरचना नहीं हैं। बिना छात्रावास ही कॉलेज का संचालन किया जा रहा है।
पूर्व में याचिकाकर्ता की तरफ से हाईकोर्ट को बताया गया था कि 80 कॉलेज ऐसे हैं जिसमें एक व्यक्ति उसी समय में कई स्थानों में काम कर रहा है। दस कॉलेज में एक ही व्यक्ति एक समय में प्राचार्य है और उन कॉलेजों के बीच की दूरी सैकड़ों किलोमीटर है। टीचिंग स्टाफ भी एक समय में पांच-पांच कॉलेज में एक ही समय में सेवा दे रहा था। हाईकोर्ट ने मप्र नर्सिंग रजिस्ट्रेशन काउंसिल के रजिस्टार को तत्काल निलंबित कर प्रशासक नियुक्त करने के आदेश जारी किए थे।
याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया था कि अन्य प्रदेश से माइग्रेट 2697 फैकल्टी को अपात्र घोषित किया गया है। फैकल्टी के फर्जी आधार तथा पेन कार्ड के आधार पर मान्यता लेने वाले दो कॉलेजों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। इसके अलावा फैकल्टी फर्जीवाड़े को रोकने के लिए आधार वैरिफिकेशन का प्रस्ताव शासन स्तर पर लंबित है।
याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया था कि रजिस्टार सुनीता सिजु पर लगे आरोप को सही पाते हुए हाईकोर्ट ने उन्हें हटाने के निर्देश दिए थे। आदेश के खिलाफ उन्होंने बिना शासन की अनुमति लिए रजिस्टार पदनाम से सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की थी। सरकार कार्रवाई की बजाय उनका बचाव कर रही है और सुप्रीम कोर्ट से राहत मिलने के कारण वे रजिस्टार पद पर बनी हुई हैं। मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की तरफ से पेश किए गए आवेदन में ग्वालियर खंडपीठ में नर्सिंग कॉलेज से संबंधित याचिका सुनवाई के लिए मुख्यपीठ में स्थानांतरित किए जाने की राहत चाही गई थी। युगलपीठ ने आवेदन को खारिज करते हुए रजिस्टार के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे।
याचिका पर गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से उक्त जानकारी पेश की गई। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि सुनीता सिजु को पद से हटा दिया है, परंतु आरोपों के संबंध में उन्हें उपयुक्त नोटिस जारी नहीं किया गया है। सुनवाई के बाद युगलपीठ ने पूर्व रजिस्टार चंद्रकला दिवगैयां के खिलाफ की गई कार्रवाई रिपोर्ट तथा सुनीता सिजु के खिलाफ उपयुक्त नोटिस जारी करने सरकार को समय प्रदान किया है।