
जबलपुर हाईकोर्ट
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सागर जिले के सुर्खी पुलिस थाना क्षेत्र में हुई भगवान सिंह लोधी की कथित एनकाउंटर संबंधी मामले में जबलपुर एकलपीठ ने निर्देशित किया है कि यदि जांच रिपोर्ट नहीं आई तो मामले के ओआईसी हाजिर रहेंगे। एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 15 जून को निर्धारित की है।
उल्लेखनीय है कि यह मामला मृतक भगवान सिंह लोधी के पिता थान सिंह लोधी की ओर से दायर किया गया था। दायर मामले में आरोप है कि सागर जिला के सुर्खी पुलिस थानांतर्गत ग्राम चतुर्भटा में पुलिस द्वारा देवरी कोर्ट से जारी वारंट की तामीली करने पहुंची पुलिस ने भगवान सिंह लोधी को पकड़कर सर्विस रिवाल्वर से सीने के लेफ्ट साइड तीन गोली मारकर 20 अक्टूबर 2006 को हत्या कर दी। घटना को एक एनकाउंटर का रूप देकर उक्त घटना को रफा-दफा करने का प्रयास किया गया। घटना में मृतक भगवान सिंह लोधी की पीएम रिपोर्ट के मुताबिक, गोली सीने में सटाकर फायर करने का स्पष्ट उल्लेख किया गया है।
याचिका में स्वतंत्र एजेंसी से जांच कर तत्कालीन पुलिस कर्मी पूरन लाल नगायच, रामगोपाल शुक्ला पर तथा तत्कालीन पुलिस कप्तान मो. शाहिद अवसार के खिलाफ हत्या का प्रकरण दर्ज करने तथा मृतक के आश्रितों को उचित क्षतिपूर्ति प्रदान करने की राहत चाही गई है। मामले में न्यायालय ने छह नवंबर 2006 को अनावेदकों को नोटिस जारी कर जवाब पेश करने के निर्देश दिए थे, जिस पर अनावेदकों ने केस में उठाए गए मुद्दों का कोई जवाब नहीं दिया, बल्कि अनावेदकों ने मजेस्ट्रियल जांच का हवाला देते हुए जवाब दाखिल किया गया था।
मामले की पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया था कि मामला 15 साल से लंबित है। आज दिनांक तक अनावेदकों द्वारा कोर्ट के समक्ष मजिस्ट्रियल जांच पेश नहीं की गई है और न ही आज दिनांक तक दोषी पुलिस अधिकारियों पर हत्या का मामला दर्ज किया गया है। तर्क दिया गया कि 15 साल बीतने के बाद मामला सारहीन नहीं हो सकता। अपराधियों के अपराध के खिलाफ अपराध पंजीबद्ध करने की कानून में कोई नियत समय सीमा नहीं है और न ही अनावेदक यह तर्क कर सकते हैं कि 15 साल व्यतीत होने के कारण प्रकरण सारहीन हो गया है। इस पर न्यायालय ने मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। मामले में आगे हुई सुनवाई पर न्यायालय ने निर्देश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता रामेश्वर पी सिंह ने पक्ष रखा।