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बंदरों का आंतक शहर में ही नहीं प्रमुख कस्बों एवं गांवों तक जा पहुंचा है। जिले के कस्बा जट्टारी, टप्पल, पिसावा, चंडौस, गभाना, वीरपुरा, खैर, बरौली, कासिमपुर, जवां, हरदुआगंज, अतरौली, पालीमुकीमपुर, छर्रा, इगलास, गोरई, अकराबाद, गोंडा आदि के अलावा कई गांवों में बंदरों का आतंक देखने को मिल रहा है।    

बंदर

सामान छीनने के दौरान होते हैं हमलावर 

बंदरों के ज्यादातर हमले लोगों से सामान छीनने के लिए होते हैं। बंदरों के लोगों से सामान छीनने के पीछे की एक बड़ी वजह है कि उनके खाने-पीने और रहने की कोई व्यवस्था नहीं है। शहर के सासनीगेट, धनीपुर मंडी, एटा चुंगी, विकास नगर, अचलताल, विकास नगर, खिरनीगेट, मदारगेट, रावण टीला, सुरेंद्र नगर, दुबे का पड़ाव, रामघाट रोड, किशनपुर तिराहा, ऊपरकोट, देहलीगेट, महावीरगंज, बारहद्वारी, रघुवीरपुरी, रामघाट रोड, एडीए कॉलोनी, ज्ञानसरोवर, मानसरोवर, निधिवन कॉलोनी आदि कॉलोनियों में बंदरों का खौफ कुछ ज्यादा है। इन इलाकों में बंदरों के डर से लोगों ने घरों से अकेले बाहर तक निकलना बंद कर दिया है।

वन विभाग के भरोसे नगर निगम 

बंदरों के आतंक से निजात दिलाने को नगर निगम वन विभाग के भरोसे बैठा है। बंदरो को पकड़कर जंगल में छोड़ने का काम वन विभाग का है। इसके लिए वन विभाग को कई बार पत्र भी लिखा गया है। – एहसान रब, जनसंपर्क अधिकारी, नगर निगम 

हमने कुछ दिन पहले सर्वे कराया था, जिले में बंदरों की संख्या 10 हजार से अधिक है। नगर निगम को बंदरों को पकड़ने के लिए अनुमति दी जाएगी। बंदरों को पकड़ने में वन विभाग, नगर निगम की पूरी सहायता करेगा। -दिवाकर कुमार वशिष्ठ, प्रभागीय वन निदेशक



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