95 people returned to Sanatan Dharma on the last day of Dhirendra Shastri's katha

सागर में 95 लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की।
– फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार

सागर में चल रही बागेश्वर धाम सरकार पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की श्री मद्भागवत कथा का रविवार को सातवें दिन समापन हुआ। आखिरी दिन 95 लोगों ने सनातन धर्म में वापसी की। इस दौरान मंच से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने वापसी करने वालों से बातचीत की। उन्होंने कहा आगे कोई बड़ा प्रलोभन मिलेगा तो क्या फिर चले जाओगे, जवाब में लोगों ने कहा कि हम आपके द्वारा प्रेरित होकर सनातन धर्म में आए हैं अब कभी वापस नहीं जाएंगे। इस बीच कथा में उपस्थित हजारों लोगों ने जय श्रीराम के जयकारे लगाए। 

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि जब तक शरीर में सांस रहेगी तब तक हिंदू को बिखरने नहीं दूंगा। बारिश हो रही है जमीन जरूर गीली है, लेकिन जमीर गीला नहीं होना चाहिए। जिस यज्ञ में बारिश हो जाती है वह यज्ञ सफल हो जाता है। मैं कह रहा था कि सागर में कुछ बड़ा होने वाला है। आज कुछ परिवार सनातन धर्म में वापसी कर रहे हैं। इसमें 50 से अधिक परिवारों के 95 लोग शामिल हैं, जो भ्रमित होकर अन्य धर्म में चले गए थे। उन्होंने गुलाब रानी, दयाल और अन्य लोगों से बात की। उन्होंने कहा कि अब बताइये कहते हैं कि हम नफरत फैला रहे हैं या कोई हमारे भोले भाले सनातनियों को बहला रहा है। इसके बाद कथा में भागवत के प्रसंगों का सुंदर वर्णन किया और कई दृष्टांत सुनाए। अंतिम दिन बारिश के बावजूद भी बड़ी संख्या में लोग कथा सुनने पहुंचे।

अंतिम दिन हुए भावुक

कथा के अंतिम दिन उन्होंने कहा कि सागर के पागलों आप सभी धन्य हो आज यहां मेरी कथा का अंतिम दिन है। यहां जैसी भक्ति कहीं नहीं देखी। मुझे आप सबकी आदत हो गई है। जल्द ही फिर आऊंगा और आप सभी को राम कथा सुनाऊंगा।

कोई भी तूफान हमें कथा से नहीं रोक सकता

कथा के आखिरी दिन जमकर बारिश हुई। देर रात से ही लोग बागेश्वर धाम सरकार के दर्शन करने हजारों की संख्या में मौजूद थे। बारिश में भीगते श्रद्धालुओं को देख वे बार बार बाल्कनी से आकर लोगों का अभिवादन करते रहे। साथ ही सहयोगियों को व्यवस्थाएं बनाए रखने के लिए निर्देशित करते रहे। वे स्वयं व्यवस्थाओं की जानकारी लेते रहे तो वहीं कथा पंडाल में उन्होंने कहा कि सागर जैसे श्रोता कहीं नहीं मिले। आपकी श्रद्धा अपार है। इसीलिए मैं तीन दिन से सोया नहीं, मौसम कैसा भी हो, कोई भी तूफान आ जाए कथा से हमें कोई रोक नहीं सकता।

 



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