
कमल पटेल (फाइल फोटो)
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“जो जीता वही सिकंदर” मुहावरे को अब मध्यप्रदेश में नए सिरे से गढ़ा जाने लगा है। उज्जैन के विक्रमादित्य विश्व विद्यालय के कुलपति ने “जो जीता वही सिकंदर” मुहावरे को बदलकर “जो जीता वही विक्रमादित्य” बदलने का एलान किया था। अब मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री ने कहा कि अब “जो जीता वही सिकंदर” नहीं पढ़ाया जाएगा बल्कि उसकी जगह “जो जीता वही बाजीराव” पढ़ाया जाएगा।
बता दें कि कृषि मंत्री कमल पटेल खरगोन में बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधी पर उनकी पुण्य तिथि के समारोह में शामिल होने पहुंचे थे। इस अवसर पर उन्होंने मुहावरे को नया रूप दे दिया। एक सामाजिक संस्था ने नर्मदा नदी पर बनने वाले नए पुल का नाम बाजीराव पेशवा के नाम पर रखे जाने की मांग कृषि मंत्री से की। संस्था ने बताया कि बाजीराव पेशवा एक महान और अजेय योद्धा थे। संस्था के सदस्यों ने प्रभारी मंत्री को बाजीराव पेशवा की समाधी स्थल से लगे हुए क्षेत्रों के विकास के लिए ओंकारेश्वर, बड़वाह, सनावद, महेश्वर, मंडलेश्वर, करही, काटकुट को मिलाकर ओंकारेश्वर के नाम से नया जिला बनाए जाने की मांग भी की।
बाजीराव पेशवा की पुण्यतिथि समारोह में उनकी समाधी स्थल पर पहुंचे प्रदेश के कर्षि मंत्री कमल पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि बाजीराव पेशवा एक अजेय योद्धा थे। एक कहावत है जिसमें कहा गया है जो जीता वही सिकंदर। लेकिन वो हमें गलत पढ़ाया गया है। उन्होंने कहा कि जो जीता वो बाजीराव यही पढ़ाया जाएगा और सिखाया जाअगा और पूरी दुनिया में इसी का विस्तार किया जाएगा। बता दें कि बाजीराव पेशवा प्रथम की समाधि खरगोन जिले के रावेरखेड़ी में स्थित है, जहां शुक्रवार को बाजीराव पेशवा प्रथम की 283 वीं पुण्यतिथि समारोह के कार्यक्रम में कृषि मंत्री पहुंचे थे।
गौरतलब है कि कुछ दिन पूर्व ही उज्जैन के विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति अखिलेश कुमार पांडेय ने भी ‘जो जीता वही सिकंदर’ मुहावरे को बदलने की बात कही थी। कुलपति का कहना था कि हमारे देश में असली आदर्श महाराज विक्रमादित्य हैं। सिकंदर को किसी भी स्थिति में युवाओं के लिए आदर्श के रूप में स्थापित करना गलत है।