[ad_1]

Kuno National Park: South Africa defends Project Cheetah, says nothing unusual in the death of cheetahs

सांकेतिक तस्वीर
– फोटो : iStock

विस्तार

दक्षिण अफ्रीका सरकार ने भारत के प्रोजेक्ट चीता का समर्थन किया है। दक्षिण अफ्रीका के वन, मछली पालन और पर्यावरण विभाग ने कहा है कि मध्यप्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में दो चीतों की मौत में कुछ भी असामान्य नहीं है। यह मौतें इस तरह के प्रोजेक्ट में अपेक्षित मृत्यु दर की सीमा में है।  

विभाग ने एक बयान जारी कर कहा कि सितंबर 2022 में नामीबिया से आठ चीते भारत भेजे गए थे। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका से भी 12 चीते कूनो भेजे गए। इनमें दो चीतों की मौत हुई हैं, जिनमें एक नामीबिया से गया और दूसरा दक्षिण अफ्रीका से गया चीता था। यह मौतें इस तरह के प्रोजेक्ट में अपेक्षित मृत्यु दर की सीमा में है। बड़े जानवरों को फिर से बसाने का प्रोजेक्ट बेहद जटिल होता है और उसमें कई तरह के जोखिम होते हैं। जैसे-जैसे चीतों को खुले जंगल में छोड़ा जाएगा, उनकी रोजमर्रा की गतिविधियों को काबू में रखना मुश्किल होता जाएगा। विभाग को चीता की मौत की ऑटोप्सी रिपोर्ट का इंतजार है लेकिन ऐसा कोई संकेत नहीं मिला है कि चीतों में किसी तरह का संक्रमण हुआ है और अन्य चीतों को किसी तरह का खतरा है। 

दो महीने में खुले जंगल में जाएंगे दक्षिण अफ्रीकी चीते

विभाग ने यह भी कहा कि सभी 11 दक्षिण अफ्रीकी चीते बड़े बाड़े में हैं। दिन में दो बार उनकी करीबी निगरानी होती है। वह जंगली चीते हैं। इस वजह से उनके बर्ताव, हाल-चाल और शरीर की स्थिति पर कुछ दूरी से निगरानी होती है। ताकि उनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी हासिल की जाए। इन चीतों को अगले दो महीनों में खुले जंगल में छोड़ा जाएगा। कूनो नेशनल पार्क के खुले जंगल की फेंसिंग नहीं हुई है और यहां तेंदुएं, भेड़िये, भालू और लकड़बग्घे भी हैं। अफ्रीका में भी जब चीतों को फिर से बसाया गया तो देखा गया कि खुले जंगल में छोड़ने के एक साल के भीतर कई चीते मारे गए थे। कई चीते कूनो नेशनल पार्क की सीमा से बाहर भी निकलेंगे। उन्हें फिर से पकड़ा जाएगा तो तनाव में भी रहेंगे। एक बार चीतों को अपनी सीमा की पहचान हो जाए तो स्थिरता आएगी। 

दोनों देशों के बीच हुआ है करार

भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच भारत में चीतों को फिर से बसाने के मुद्दे पर एक करार हुआ है। इसमें दक्षिण अफ्रीका ने चीते देने के साथ ही उनके संरक्षण के उपायों में विशेषज्ञ मदद देने का भरोसा भी दिलाया है। इसमें मनुष्यों से संघर्ष जैसे विषय भी शामिल हैं। दक्षिण अफ्रीका से भेजा गया चीता उदय की 23 अप्रैल को मौत हुई थी। वहीं, नामीबिया से भारत लाई गई फीमले चीता साशा की मौत 27 मार्च को हुई थी। उसे जनवरी में किडनी इंफेक्शन हुआ था, जिसने उसकी जान ले ली। 

[ad_2]

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *