
भाजपा
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नगर निकाय चुनाव के प्रत्याशी घोषित होने के बाद कई दल अंदरूनी कलह से जूझ रहे हैं। टिकट न मिलने पर कई दलों के नेताओं ने अपनी ही पार्टी के अधिकृत प्रत्याशियों के सामने बागी बन कर नामांकन कर दिया है। ऐसे में पार्टी के आला नेता व प्रत्याशी इन प्रत्याशियों का नामांकन वापस कराने में लगे हैं। बागियों को मनाया जा रहा है। कुछ को प्रलोभन भी दिए जा रहे हैं। अन्य फार्मूले भी अपनाए जा रहे हैं। देखना यह होगा कि यह बागी प्रत्याशी बृहस्पतिवार को नाम वापस लेते हैं या नहीं।
भाजपा में नगर निकाय चुनाव का टिकट पाने के लिए सबसे ज्यादा मारामारी थी। मंथन, दावेदारों की राजनीतिक पृष्ठभूमि, उनकी छवि और उस क्षेत्र के समीकरण को देखने के बाद भाजपा ने नामांकन के आखिरी दिन से एक दिन पहले प्रत्याशियों की घोषणा की। इससे पहले ही भाजपा के कई नेताओं ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप मेंं पर्चे दाखिल कर दिए थे। भाजपा ने तो दावेदारों की संख्या ज्यादा होने के कारण हाथरस नगर पालिका के चार वार्डों से उम्मीदवार ही घोषित नहीं किए थे।
पार्टी यह मान रही थी कि यदि यहां किसी एक दावेदार को टिकट दे दी तो ज्यादा बगावत हो जाएगी और यह बगावत अध्यक्ष पद के प्रत्याशी के लिए भी नुकसानदायक हो सकती है। शहर के छह वार्डों में भाजपा प्रत्याशियों के सामने उनके ही पार्टी के अन्य दावेदारों ने पर्चा दाखिल किया है।
मुरसान नगर पंचायत अध्यक्ष पद पर भाजपा के एक नेता बागी होकर मैदान में डटे हैं। कुछ और नगर निकायों मेंं भी यही स्थिति है। कई अन्य दलों में भी कमोबेश कुछ नेता बागी तेवर अपनाए हुए हैं और अपनी पार्टी के प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं। अब बृहस्पतिवार को नाम वापसी होगी। ऐसे में पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी व नेता यह कोशिश कर रहे हैं कि बागी प्रत्याशी अपने नाम वापस ले लें। इसके लिए उनकी मनुहार की जा रही है।
किसी को संगठन में समहित करने का लालच दिया जा रहा है तो किसी को अन्य प्रलोभन दिए जा रहे हैं। प्रत्याशी व पार्टी के नेता मान रहे हैं यदि यह प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़े तो इनकी वजह से काफी नुकसान होगा और सीट हाथ से निकल सकती है। अब देखने वाली बात यह होगी कि बृहस्पतिवार को कोन सा प्रत्याशी अपना नाम वापस लेता है।