
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान
– फोटो : अमर उजाला
विस्तार
आदि शंकराचार्य के प्रकटोत्सव-एकात्म पर्व पर मंगलवार को राजधानी के कुशाभाऊ ठाकरे सभागार में आयोजन किया गया। इसमें मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि आचार्य शंकर ने चारों दिशाओं में भारत को जोड़ने का काम किया है। आज विश्व जिन विवादों में घिरा है, उनका हल भारत के पास है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आज भौतिकता की अग्नि में दग्ध विश्व मानवता को शाश्वत शांति के पथ का दिग्दर्शन अपने अद्वैत दर्शन के माध्यम से भारत ही कराएगा। आज विश्व जिन विवादों में घिरा है, उनका हल भारत के पास है। हमारा दर्शन विश्व शांति और विश्व-कल्याण का है। हमारी विचारधारा वसुधैव कुटुंबकम एवं सर्वे भवंतु सुखिन: की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारा अद्वैत दर्शन कहता है कि प्रत्येक जड़ और चेतन में एक ही चेतना है। हर आत्मा में परमात्मा है। अहम् ब्रह्मास्मि। मैं और तुम एक हैं, सभी एक हैं। यह जानने के बाद और कुछ जानने के लिए शेष नहीं रह जाता।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत के दर्शन की गहराइयों में जाएं तो विश्व के सारे विवादों का हल भारत के पास है। जिस प्रकार हमारे शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा होते हैं, उसी प्रकार समाज के भी शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा होते हैं। पूरी धरती और और उस पर रहने वाले शरीर है, सामूहिक संकल्प (मेरा देश, देश भक्ति) मन है, संविधान बुद्धि है और सबका कल्याण आत्मा है। सबके कल्याण में ही सारे विवादों का हल है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व की सारी विचारधाराएं इसी चिंतन से निकली हैं कि सुखी कैसे रहा जाए। पश्चिम दर्शन कहता है कि शरीर की आवश्यकता है पूरी हो जाए तो मनुष्य सुखी हो जाएगा। हमारा दर्शन कहता है कि शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा के समुच्चय का सुख ही पूरा सुख है। शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा का सुख चार पुरुषार्थ अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष से प्राप्त होता है।
परमानंद गिरि बोले- मुख्यमंत्री का कार्य सराहनीय
विशिष्ट अतिथि अखंड परमधाम के संस्थापक महामंडलेश्वर व युगपुरुष स्वामी परमानंद गिरि महाराज ने कहा कि अद्वैत के सिद्धांत के प्रचार का काम मध्य प्रदेश की धरती से शुरू हो गया है। आने वाले समय में इसे और बल मिलेगा। यह काम हम संतों का था जिसे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आगे आकर बढ़ा रहे हैं। मुख्यमंत्री का कार्य सराहनीय है, उसे वह पूरा करने के लिए कृतसंकल्पित हैं। सर्वसमाज को भी इस दिशा में आगे आना चाहिए। उन्होंने कहा कि स्वप्न में हमें आभास होता है कि सिर कट गया लेकिन यथार्थ में ऐसा नहीं होता। ऐसी वृत्ति मृत्यु के जागने से ही जाएगी। मृत्यु तो तप है, दुख से बाहर जाने का उपाय है। यदि हमने इस शरीर के रहते नहीं जगाया तो आगे कैसे संभव होगा, जो यह जान लेता है वह ब्राह्मण है। कमियों को दूर करके विश्व निर्माण का यह समय है। उन्होंने कहा कि नशे में हर चीज अच्छी लगती है, उसे जगाना होगा।
कांशीराम बोले- अद्वैत दर्शन की विश्व में चर्चा
दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व प्राध्यापक डॉ. कांशीराम ने कहा कि आज यह प्रकल्प बड़ा स्वरूप ले रहा है, जो आने वाले समय में विश्व में फैलेगा। अद्वैत दर्शन की विश्व में चर्चा होगी। सिर्फ यही फिलॉसफी है, जिसे सबको स्वीकार करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि व्यक्ति भले ही अलग हैं, लेकिन चेतना एक ही है। जिसे एकात्म का भाव हो गया वही जागृत हो गया। मुझमें, दूसरे में अंतर की भिन्नता जिस दिन खत्म हो गई उस दिन सारा समाज एक हो जाएगा।