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धार्मिक नगरी उज्जैन में बाबा महाकाल के हजारों भक्तों का जमावड़ा प्रतिदिन लगा रहता हैस लेकिन गुरुवार की सुबह वैशाख कृष्ण पक्ष की अमावस्या का स्नान करने वाले श्रद्धालु और दूसरी ओर पंचकोशी यात्रा पूर्ण कर रामघाट पहुंचे। श्रद्धालुओं ने मां क्षिप्रा में डुबकी लगाकर धर्म लाभ अर्जित किया, जिससे रामघाट पर हर-हर क्षिप्रे गूंज उठा। इस दौरान विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के साथ ही पंचकोशी यात्रा के अष्टतीर्थ पड़ाव पर भी यात्रियों की भारी भीड़ देखी गई। प्रशासन ने आज होने वाले स्नान को देखते हुए पूर्व से ही उचित व्यवस्था की थी। यही कारण रहा कि श्रद्धालुओं को ना तो रामघाट और ना ही अन्य तीर्थ स्थलों पर किसी भी परेशानी का सामना करना पड़ा। 



वैशाख मास में भगवान के पूजन-अर्चन और दान पुण्य करने का अत्यधिक महत्व है, यही कारण है कि इस मास में न सिर्फ श्रद्धालु भगवान की भक्ति में रमे रहते हैं, बल्कि धार्मिक नगरी उज्जैन में पांच दिनों तक होने वाली 118 किलोमीटर लंबी पंचक्रोशी यात्रा में भी शामिल होते हैं। पंचक्रोशी यात्रा का नगर प्रवेश बुधवार दोपहर को नगर में धूमधाम से हुआ था, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने शिवरथ का पूजन अर्चन कर हीरा मिल गेट से नगर प्रवेश किया था, जिसमें श्रद्धालु बैंड एवं ढोल के साथ भजन करते हुए कोयला फाटक, चामुण्डा माता चौराहा, मालीपुरा, दौलतगंज, फव्वारा चौक, एटलस चौराहा, नई सड़क, कंठाल, सतीगेट, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी चौराहा, कार्तिक चौक होते हुए क्षिप्रा तट (छोटी रपट) पर पहुंचा थे। गुरुवार सुबह रामघाट पर श्रद्धालुओं ने आस्था की डुबकी लगाई और धर्म लाभ अर्जित किया। इस दौरान श्रद्धालु पूरे प्रदेश से उज्जैन पहुंचे थे, जिन्होंने राम घाट पर स्नान करने के बाद उज्जैन के अन्य मंदिरों में भी भगवान का दर्शन पूजन किया। 

 


पंचक्रोशी यात्रियों की शुरू हो गई अष्टतीर्थ यात्रा

पंचक्रोशी यात्रियों ने बुधवार को नगर प्रवेश किया था, जिसके बाद आज सुबह राम घाट पर स्नान करने के बाद श्रद्धालुओं की अष्टतीर्थ यात्रा शुरू हो गई। यात्री भूखी माता, रणजीत हनुमान के रास्ते अष्ट तीर्थ के दर्शन करते हुए आज शाम तक मंगलनाथ पहुंचेंगे। माना जाता है कि अष्टतीर्थ यात्रा के बाद ही पंचक्रोशी यात्रा का समापन होता है। जिसके बाद ही श्रद्धालु अपने घर की ओर पहुंचते हैं। 

मंगलनाथ और अंगारेश्वर में भात पूजा बंद

मंगलनाथ और अंगारेश्वर मंदिर में आज भात पूजन पर प्रतिबंध लगा हुआ है बताया जा रहा है कि अष्टतीर्थ यात्रा के कारण हजारों श्रद्धालु मंदिर में दर्शन-पूजन करने पहुंचते हैं और उनके मन की कामना रहती है कि वह भगवान का पूजन-अर्चन कर उनका जलाभिषेक कर सके। इसीलिए मंदिर में पिछले तीन दिनों से भात पूजा पर मौखिक रूप से रोक लगी हुई है जो कि आज शाम तक जारी रहेगी।




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